शिक्षण की प्रमुख विधियॉ एवं उनका विश्लेषणात्मक अध्ययन

निममनात्मक विधि- इसमें छात्रों को कोई सामान्य सिद्धान्त बताकर उसकी जॉच या पुष्टि के लिए अनेक उदाहरण दिए जाते है। यह विधि सामान्य से विषेश की ओर चलती है।

आगमन विधि-   इस विधि में विशेष तथ्यों तथा घटनाओं के निरीक्षण तथा विश्लेषण द्वारा सामान्य नियमों अथवा सिद्धान्तों का निर्माण किया जाता है। इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर, विशिष्ट से सामान्य की ओर तथा मूर्त से अमूर्त की ओर शिक्षण सूत्रों का प्रयोग किया जाता है।

संश्लेषणात्मक विधि- पाठ्यपुस्तकों को उपस्थित करने का ढंग यदि ऐसा है कि पहले अवयवों का ज्ञान देकर तब पूर्ण वस्तु का ज्ञान कराया जाता है तो उसे संश्लेषणात्मक विधि कहते है। इसमें पूर्ण से अंश की ओर शिक्षण सुत्र का प्रयोग होता है।

योजना या प्रोजेक्ट विधि- यह विधि अमेरिका के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री जॉान डीवी की विचार धारा पर आधारित है। इसको विकसित करने का श्रेय किलपैट्रिक को जाता है।

मॉन्टेसरी विधि- इस विधि के जन्मदाता डॉ. मारिया मांटेसरी हैं। जिनका निवास इटली है। इनके अनुसार शिक्षा ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों द्वारा दी जाती है।

वर्धा योेजना या बेसिक शिक्षा – इस योजना का प्रतिपादन महात्मा गॉन्धी ने किया था। इसे बुनियादी तालीम भी कहते है। गॉन्धी जी ने देश की स्थिति देखते हुए शिक्षा में हाथ के काम की प्रधानता को महत्व दिया।

  • किंडरगार्टन विधि के जनक फ्रोबेल महोदय का माना जाता है। किंडरगार्टन का अर्थ बच्चों का उद्यान होता है।
  • आगमन विधि तथा निगमन विधि के जनक अरस्तु थे।
  • संवाद शिक्षण विधि के जनक प्लेटो थे।
  • खेल विधि के जनक काल्डबेल कुक है।
  • शोध विधि के जनक आर्मस्ट्रांग है।

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